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Draupadi Murmu Biography in Hindi :- देश के सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति (Persident) पद के लिए 18 जुलाई को मतदान होना है। जिसके लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के केन्द्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance – NDA) सरकार के लोगों से मिलकर 21 जून 2022 (मंगलवार) को एनडीए के ओर से राष्ट्रपति पद के लिए झारखंड के पूर्व राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का नाम रखा गया है।
फिलहाल रामनाथ कोविंद जी का कार्यकाल पूरा होने के बाद अब देश को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुवाई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA की ओर से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए महिला उम्मीदवार के रूप में चुनी गई हैं तो वहीं विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया गया है। अगर द्रौपदी मुर्मू जी जीत जाती हैं तो वो देश के दूसरी महिला तथा देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी।
तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हमलोग जानेंगे कि इस समय देश के बहुचर्चित नाम द्रौपदी मुर्मू के बारे में (About of Draupadi Murmu), द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय (Draupadi Murmu Biography), द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन (Political life of Draupadi Murmu) आदि बहुत सारी जानकारियां जानेंगे जो आपको जानने लायक हो।
द्रौपदी मुर्मू का परिचय :-
नाम | द्रौपदी मुर्मू |
पति का नाम | श्याम चरण मुर्मू |
पिता का नाम | बिरंची नारायण टुडू |
माता का नाम | किनगो टुडू |
जन्म | 20 जून 1958 |
समुदाय | संथाली आदिवासी |
वैवाहिक स्थिति | विधवा |
बच्चों की संख्या | 3 |
दसवीं की पढ़ाई | K.B. High School, Mayurbhanj |
इण्टर की पढ़ाई | Rama Devi Women’s University, Vidya Vihar, Bhubaneswar, Odisha |
ग्रेजुएशन की पढ़ाई | Rama Devi Women’s University, Vidya Vihar, Bhubaneswar, Odisha |
नौकरी | Junior Assistant ( 1979-1983 ) |
अध्यापन | Shri Aurobindo Integral Education and Research, Rairangpur |
राजनीतिक कैरियर | पंचायत काउंसलर 2 बार विधायक ( 2000, 2004 ) |
पुरस्कार | नीलकण्ठ पुरस्कार ( Best MLA of Odisa, 2007 ) |
राज्यपाल | झारखण्ड ( 15 मई 2015 से लेकर 12 जुलाई 2021 तक ) |
Wikipedia | Draupadi Murmu |
द्रौपदी मुर्मू का प्रारंभिक जीवन (Early life of Draupadi Murmu) :-
द्रौपदी मुर्मू का जन्म भारत देश के उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले रायरंगपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर सुदूरवर्ती गांव बैदापोसी के ऊपर बेड़ा में 20 जून 1958 को संताली आदिवासी परिवार में हुई थी। ये काफ़ी गरीब परिवार में जन्मी थी। इनका लालन पालन बहुत ही कम संसाधनों हुआ था। उनके पिता और दादा दोनों ही उनके पैतृक गांव के प्रधान थे।
द्रौपदी मुर्मू / Draupadi Murmu के पिताजी का नाम बिरंची नारायण टुडू तथा माता जी का नाम किनगो टुडू था। इनके पिता एक गांव के किसान था, जो खेतीबारी कर अपने परिवार का भरण – पोषण करता था। ये अपनी पिताजी के तीन संतानों (2 बेटा और 1 बेटी) में से तीसरी और सबसे छोटी थी। पहला बेटा – भगत टुडू व दूसरा बेटा का नाम – सारणी टुडू तथा बेटी का नाम – द्रौपदी मुर्मू है।
द्रौपदी मुर्मू की शुरुआती शिक्षा ( Draupadi Murmu’s Early Education ) :-
बिरंची नारायण टूडू के तीनों बेटा – बेटियों की प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में ही हुआ। इसके बड़े भाइयों की आगे की पढ़ाई तो आर्थिक तंगी की वजह से रुक गई। लेकिन द्रौपदी मुर्मू ने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाही, क्योंकि वो पढ़ने लिखने में ठीक – ठाक थी। इनकी पढ़ाई – लिखाई का योगदान सबसे ज्यादा उनकी दादी का हाथ था। द्रौपदी मुर्मू की दादी जो चक्रधरपुर की रहने वाली थी। वह इनको पढ़ने के लिए काफी प्रेरित की, इनकी दादी तब के समय में हिंदी और इंग्लिश भी बोल लेती थी।
द्रौपदी मुर्मू के गांव में कुछ सरकारी अधिकारी व मंत्री जी का दौरा हुआ। द्रौपदी मुर्मू ने उनके सामने अपनी आगे की पढ़ाई – लिखाई जारी रखने की इच्छा प्रकट की। उनकी मदद से उनका दाखिला मयूरभंज के K.B. High School में हो गया। इसके बाद वो उसी विद्यालय से 10वीं की परिक्षा उड़ीसा बोर्ड से दी। इसे आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए वो भूवनेश्वर चली गई।
फिर उन्होंने 12वीं कला (I.A) की पढ़ाई “Rama Devi Women’s University, Vidya Vihar, Bhubaneswar, Odisha” से की और इंटर की परीक्षा उड़ीसा बोर्ड से दी। इन्टर पास करने के बाद उन्होंने उसी कॉलेज से कला (B.A) से स्नातक (Graduation) की ।
द्रौपदी मुर्म ने Junior Assistant के रूप में की काम।
शिक्षा पूरी करने के बाद उनका एक ही सोच था कहीं नौकरी करे और अपने परिवार का आर्थिक रूप से मदद कर सके। इसीलिए उन्होंने स्नातक पूरी करने के बाद इन्हें उड़ीसा सरकार में ही बिजली विभाग में Junior Assistant के तौर पर नौकरी प्राप्त हुआ। बिजली विभाग में इन्होंने 1979 से लेकर साल 1983 तक Junior Assistant के तौर पर कार्यरत रही।
द्रौपदी मुर्मू का वैवाहिक जीवन (Draupadi Murmu’s Married Life) :-
5 साल नौकरी करने के बाद उनकी शादी हो गई, फिर उनके ससुराल वालों ने उसे नौकरी नहीं करने दिया। क्योंकि उनकी नौकरी को लेकर परिवार में दिक्कतें शुरू हो गई। यही कारण से ससुराल वालों का मानना था कि दोनों लोगों के नौकरी करने की वजह से बच्चों की परवरिश पर बुरा असर पड़ेगा। वो नौकरी को पुरी तरह से छोड़ी नहीं थी यानि वो त्यागपत्र नहीं दी थी।

द्रौपदी मुर्मू स्नातक / Graduation की पढ़ाई पूरी करके नौकरी कर रही थी उसी बीच शादी सेट होने के कारण वो अपनी गांव चली आई। उनके लिए घरवाले एक अच्छा – खासा लड़का देखकर कर रखा था। द्रौपदी मुर्मू / Draupadi Murmu की शादी 1983 में मयूरभंज जिले में ही श्याम चरण मुर्मू से हुआ था जो एक बैंक अधिकारी थे। वे गांव की एक सबसे ज्यादा पढ़ी – लिखी लड़की थी, क्योंकि उस समय गांव में इतना पढ़ाई – लिखाई कोई भी व्यक्ति नहीं करता था
इन दोनों का वैवाहिक जीवन काफी सुन्दर तरीके से चल रहा था किसी में कोई दिक्कत नहीं था। दोनों ने तीन संतानों का जन्म दिया, जिसमें से 2 बेटा और 1 बेटी थी। पहला बेटा का नाम – राम मुर्मू और दूसरा बेटा का नाम – लक्ष्मण मुर्मू तथा बेटी का नाम – इतिश्री मुर्मू है। पति – पत्नी मिलकर मिलकर अपने बाल बच्चों की देखभाल बहुत अच्छे तरीके से कर रहे थे। तीनों बेटा – बेटी को भुवनेश्वर के अच्छा विद्यालय में नामांकरण भी करवा दिया।
द्रौपदी मुर्मू के बच्चों के नाम :-
क्रम संख्या | नाम |
---|---|
1 | राम मुर्मू |
2 | लक्ष्मण मुर्मू |
3 | इतिश्री मुर्मू |
बिना वेतन लिए पढ़ाने लगीं एक संस्था में।
द्रौपदी मुर्मू वैसे भी घर में बैठ कर रहना नहीं चाहती थी और घरवाले उसे दुबारा नौकरी करने नहीं देते, जिसको देखकर वो एक सामाजिक संस्था से जुड़ गई। इस संस्था से जुड़ने का एक ही लक्ष्य था वो अपने गांव और समाज को आगे बढ़ाना और जागरूक करना। वे लोगों को घर – घर जाकर समझती थी और बताती थी की ये काम अच्छा है और ये काम बुरा है।
एक निर्धन परिवार से संबंध रखने वाली द्रौपदी मुर्मू कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटकी और हमेशा आगे की ओर अग्रसर होती रही। उनके बारे में कहा जाता है कि आर्थिक तंगी से जूझते हुए भी लोगों को शिक्षित और जागरूक करने का भार लिया और बिना वेतन के ही द्रौपदी मुर्मू ने Aurobindo Integral Education and Research, Rairangpur में सहायक शिक्षिका के तौर पर भी काम की।
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द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन (Political Life of Draupadi Murmu) :-
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1997 से हुआ। वह भाजपा से रायरंगपुर में पहली बार पार्षद चुनी गईं। इसके बाद उन्हें भाजपा की उड़ीसा इकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बनाया गया। वे 2002 से लेकर 2009 तक मयूरभंज की भाजपा जिलाध्यक्ष रहीं।
पद | अवधि |
---|---|
उड़ीसा सरकार में (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में ट्रांसपोर्ट एवं वाणिज्य विभाग के राज्यमंत्री | 2000-2004 |
मयूरभंज विधानसभा से भाजपा का विधायक | 2000-2005 |
उड़ीसा सरकार में पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग के राज्यमंत्री | 2002-2004 |
भाजपा के ST मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य | 2002-2009 |
मयूरभंज विधानसभा से भाजपा का विधायक | 2005-2009 |
भाजपा के ST मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष | 2006-2009 |
ST मोर्चा भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य | 2013-2015 |
झारखंड की राज्यपाल | 2015-2021 |
द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार से सम्मानित :-
द्रौपदी मुर्मू को उड़ीसा के मयूरभंज विधानसभा ने 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए “नीलकंठ पुरस्कार” से सम्मानित किया था।
झारखंड के पहली महिला राज्यपाल बनी :-
द्रौपदी मुर्मू , झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य की। वे झारखंड की सबसे लंबी अवधि तक रहने वाली 9वीं राज्यपाल थीं। और पहली ऐसी राज्यपाल थीं जिन्होंने पूरा 5 साल तक रहने के बावजूद वह अपने पद पर आसीन रहीं। उनका का कार्यकाल का समय 18 मई 2015 से लेकर 12 जुलाई 2021 तक रहा यानि कुल 6 साल 1 महीना और 18 दिन तक था.
वैसे तो इनका कार्यकाल 5 साल का था लेकिन बीच में वैश्विक महामारी कोविड – 19 आने के कारण राष्ट्रपति इनका कार्यकाल बड़ा कर 6 साल का कर दिया। वह 6 साल 1 माह 18 दिन तक झारखंड की राज्यपाल रहीं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों के लिए Chancellor Portal शुरू कराया।
अपने राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान कभी भी विवादों में नहीं रहीं, जो इन्हें बहुत ही अदभुत बनाता है। अपने पद पर रहते हुए हमेशा आदिवासियों, बालिकाओं तथा अन्य समुदायों के हित की बात करती थीं और सजग रहती थीं। इन्हें राज्यपाल रहते हुए लगभग 100 से अधिक पुस्तकें उपहार के रूप में मिली, जिसे ये काफ़ी संभाल के रखी हुई है।
झारखंड में भाजपा और झामुमो, कोंग्रेस सरकार के कई विधेयकों को किया वापस :-
द्रौपदी मुर्मू ने राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान झारखंड के विश्वविद्यालयों में एक नया प्रयास किया, जिसका लाभ विद्यार्थियों को मिला। उन्होंने कई विधेयकों को लौटाने का निर्णय भी लिया। भाजपा के रघुवर दास सरकार में ही सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक – 1908 (CNT-SPT Amendment Bill – 1908) सहित कई विधेयकों को सरकार को वापस लौटाने का कड़ा कदम भी उठाया।
हेमंत सोरेन की झामुमो सरकार में भी उन्होंने कई आपत्तियों के साथ जनजातीय परामर्शदातृ समिति के गठन से संबंधित फाइलें लौटा दीं। खूंटी में पत्थलगड़ी की समस्या के समाधान को लेकर वहां के परंपरागत ग्राम सभाओं, मानकी, मुंडा व अन्य प्रतिनिधियों को राजभवन बुलाकर उनके साथ रायशुमारी ली। इन सभी कार्यों के चलते उनकी एक अच्छी पहल भी मानी जाती है।
द्रौपदी मुर्मू की संघर्ष, दुखों और समर्पण से भरी रही जिंदगी।
द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी काफ़ी संघर्ष, दुखों और समर्पण से भरी रही है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने सभी बाधाओं को धीरे – धीरे पार कर उस कठिन परीक्षा से पास की। उनके जीवन में ऐसा समय भी आया, जिसमें काफ़ी तनावग्रस्त हो गई। ऐसा लग रहा था मानो वो अब नहीं बचेगी।
जिसका सबसे पहला कारण था द्रौपदी मुर्मू का सबसे बड़ा बेटा राम मुर्मू का वर्ष 25 अक्टूबर 2010 में 25 साल की उम्र में असमय मृत्यु हो गई। डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए उन्होंने अध्यात्म (Spirituality) का रास्ता को पकड़ ली, जिसके लिए वह ब्रह्मकुमारी संस्था से जुड़ गई। वह जब धीरे – धीरे डिप्रेशन से बाहर आ ही रही थी, कि तभी 02 जनवरी 2013 में एक सड़क दुर्घटना में उनके दूसरे बेटे लक्ष्मण की भी मृत्यु हो गई।
द्रौपदी मुर्मू के जीवन का कठिन दौर यहीं नहीं रुका। उनके बेटे की मृत्यु के कुछ ही दिन बाद उनकी मां किनगो टुडू की भी मृत्यु हो गई। अपनी मां की मृत्यु के कुछ दिन बाद ही उनके बड़े भाई भगत टुडू का भी मृत्यू हो गया। इसी तरह से उन्होंने मात्र 1 महीने के अन्दर ही अपने परिवार के 3 लोगों को खो दिया। इन सभी दुःख की घड़ी से निकल ही रही थी कि तभी उसके सामने एक बहुत बड़ा पहाड़ टूट गया वर्ष 2014 में उनके पति श्याम चरण मुर्मू का भी आकस्मिक निधन हो गया।
उनके पति के देहांत होने के बाद द्रौपदी मुर्मू का सामान्य जीवन में वापस लौटना बहुत ही मुश्किल हो गया था। लेकिन उन्होंने ब्रम्हाकुमारी में अध्यात्म के साथ-साथ योग की भी शुरुआत की। जिससे वो अपनी डिप्रेशन से धीरे – धीरे बाहर निकलने लगी। और एक समय ऐसा आया कि वो इस बुरे दौर को पराजित कर अपनी जीत हासिल की।
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द्रौपदी मुर्मू का समाजसेवी जीवन (Draupadi Murmu’s Social Life) :-
द्रौपदी मुर्मू ने समाज सेवा के क्षेत्र में काफ़ी बहुमूल्य योगदान दिया। उन्होंने अपने आसपास के गांव घूम – घूम कर शिक्षा का अलख जगाने का काम किया। उन्होंने कई विद्यालय विद्यालय जा – जाकर बिल्कुल मुफ्त में शिक्षा बांटने का काम किया। इसके साथ ही अपने आदिवासी समुदाय को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने और अपने समाज के प्रति जागरूक करने का काम किया।
द्रोपदी मुर्मू अपने क्षेत्र में अच्छे ढंग से काम करने के लिए कई अशासकीय संस्था (Non-Governmental Organization – NGO) के संपर्क में आई। जिसके लिए वह गांव – गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाया। इस अभियान के तहत उन्होंने आदिवासियों का खान – पान , रहन – सहन, पढ़ाई – लिखाई, नाच – गान, कमाने – खाने का जरिया आदि उन सभी चीजों के बारे में बताया गया। जिससे कि जगंल – पहाड़ में तथा सुदूरवर्ती गांवों में रहने वाले आदिवासियों का किसी तरह से दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े।
आदिवासियों के प्रति इतना समर्पण की भावना को देखते हुए। उनसे कई राजनीतिक दल के लोग मिले और उनसे कहने लगे कि आप बहुत ही अच्छा काम कर रही हो। क्यों न आप राजनीति के क्षेत्र में आएं। सभी लोगों के विचारों को सुनकर द्रोपदी मुर्मू ने सोचा कि सही बात है अगर मैं राजनीति के क्षेत्र में आ गई तो इन सभी कार्यों को और भी अच्छे ढंग से कर सकती हूं।
द्रौपदी मुर्मू ने अपने ससुराल की जमीन एक विद्यालय के नाम कर दिया है, जिसमें अब छात्र एवं छात्राओं के लिए छात्रावास बने हुए हैं। फिलहाल उस विद्यालय में लगभग 100 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं वहीं छात्रावास में रहकर वो भी बिलकुल मुफ़्त। विद्यालय में बच्चों की संख्या हर साल बढ़ते ही जा रही है।
यूं ही द्रौपदी को रायरंगपुर के लोग सिर आंखों पर नहीं बिठाते। कुछ तो बात होगी। पति और दो बेटों की मौत के बाद द्रौपदी ने अपने ससुराल पहाड़पुर की सारी जमीन ट्रस्ट बनाकर स्कूल के नाम कर दी। ट्रस्ट का नाम पति और बेटों के नाम पर एसएलएस ट्रस्ट रखा। चार एकड़ में फैला यह स्कूल रेसिडेंसियल है और इसमें कक्षा छह से दसवीं तक की पढ़ाई होती है।
द्रौपदी मुर्मू की झारखंड के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के विधि – व्यवस्था को सुधारा।
बालिकाओं की शिक्षा को लेकर चिंता दिखानेवाली द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के कुल 302 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों (Kasturba Gandhi Balika Vidyalaya (KGBV) का भी भ्रमण किया। इस दौरान छात्राओं से रूबरू होते हुए उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया। बाद में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखंड सरकार (Department of School Education and Literacy, Government of Jharkhand) को आवश्यक निर्देश देते हुए उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया।
द्रौपदी मुर्मू ने झारखण्ड राजभवन में मांसाहार पर रोक लगाई थी।
द्रौपदी मुर्मू ने अपनी कार्यकाल में राजभवन को पूरी तरह से सादगी बनाकर रखा। वे खुद एक शुद्ध शाकाहारी व्यक्तित्व के लोग हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पूरे राजभवन परिसर में मांसाहार पर रोक लगाई। राजभवन में रहते हुए भी उनकी सादगी की चर्चा हमेशा से होती रही और आगे भी अपनी सादगी के लिए भी याद की जाएंगी।
द्रौपदी मुर्मू राज्य के सभी लोगों के साथ संविधानिक रूप से मुलाकात करती थी।
द्रौपदी मुर्मू का कार्यकाल जितना दिन भी रहा उतना दिन तक झारखंड के सभी लोगों के साथ संवैधानिक रूप से मुलाकात करती थी। वे प्रतिदिन विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा अन्य कोई भी लोग किसी समस्या लेकर उनके पास आते थे तो वे सभी लोगों के समस्याओं का समाधान ढूंढने का प्रयास करते थे।
द्रौपदी मुर्मू अभी बेटी और दामाद के साथ रहती हैं।
द्रौपदी मुर्मू अपनी बेटी इति श्री को अच्छा से पढ़ाई – लिखाई करवाकर एक बैंक अधिकारी बनवाई। फिलहाल इतिश्री भुवनेश्वर में यूको बैंक में मैनेजर के तौर पर काम करती हैं। उनकी शादी गणेश हेमब्रम के साथ 6 मार्च 2015 को हुई थी। अभी इन दोनों की एक बेटी है जिसका नाम आद्याश्री है।
द्रौपदी मुर्मू अपनी आंखें दान में दी।
द्रौपदी मुर्मू ने साल 2016 में रांची के Kashyap Memorial Eye Hospital द्वारा आयोजित किए गए Run Of Vision कार्यक्रम में अपनी आंखें दान करने की घोषणा भी की थी।
देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी द्रौपदी मुर्मू :-
द्रौपदी मुर्मू अगर राष्ट्रपति का चुनाव जीतती हैं तो वे देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति बनेंगी। इससे पहले प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जो कि देश की एकमात्र महिला राष्ट्रपति रही हैं। वह साल 2007 से 2012 तक भारत के राष्ट्रपति के पद पर रही थीं। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रह चुकी हैं।
द्रौपदी मुर्मू का साक्षात्कार (Interview of Draupadi Murmu)
द्रौपदी मुर्मू ने अपने एक इंटरव्यू में बताई कि :-
मैं एक आदिवासी संथाली समाज से आती हूं। मेरा जन्म अत्यंत ही गरीब परिवार में हुआ। हमलोग 3 भाई – बहन थे, जिसमें से मैं सबसे छोटी थी। मेरे पिताजी और दादाजी गांव के प्रधान हुआ करते थे। मेरी दादी थोड़ी बहुत पढ़ी हुई थी, जिसे से वो हल्की – हल्की हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बोल लेती थी। उनकी दादी चक्रधरपुर की रहनेवाली थीं ।
द्रौपदी मुर्मू , पूर्व राजयपाल ,झारखण्ड
मैं ने अपनी शुरुवाती पढ़ाई गांव के विद्यालय से ही की। बाद में कुछ सरकारी आधिकारियों के सहयोग से मयूरभंज के एक उच्च विद्यालय में दाखिला हो गया। वहीं से मैं अपनी 10वीं की परीक्षा उड़ीसा बोर्ड से दी फिर मैं ने आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए राज्य की राजधानी भूवनेश्वर चली गई। वहां से मैंने Rama Devi Women’s College में 12वीं उड़ीसा बोर्ड से कला (I.A) तथा कला से स्नातक (B.A) की पढ़ाई पूरी की।
द्रौपदी मुर्मू , पूर्व राजयपाल ,झारखण्ड
फिर मैं कुछ साल उड़ीसा सरकार में सिंचाई एवं बिजली विभाग में Junior Assistant Clerk के रूप में कार्य कर रही थी। क्योंकि मेरा मकसद था पैसा कमाकर अपने परिवार को आर्थिक सहायता कर सकूं। फिर एक दिन मेरी शादी हो गयी । मेरे पतिदेव सराकारी बैंक अधिकारी थे। हम दोनों का 3 बेटा – बेटी हुए। शादी के बाद मुझे नौकरी करने नहीं दिया गया कारण ससुराल वालों का मानना था कि अगर दोनों लोग नौकरी करोगे तो अपने बाल – बच्चों का लालन – पालन अच्छे ढंग से नहीं कर सकते।
द्रौपदी मुर्मू , पूर्व राजयपाल ,झारखण्ड
मुझे ऐसे ही घर बैठे मन नहीं लगता था तो मैं एक गांव के पास ही एक संस्था Aurobindo Integral Education and Research, Rairangpur से जुड़ गई। फिर मैंने बच्चों को फ्री में पढ़ाना शुरू की। वहीं से मैं समाज सेवा कार्य करने लगी। मुझे देखकर गांव के लोग अपने बेटी को पढ़ना – लिखना शुरू किया और यही कारण है आज उड़ीसा में महिलाओं को 50% का आरक्षण प्राप्त है।
द्रौपदी मुर्मू , पूर्व राजयपाल ,झारखण्ड
मैं 1997 में पहली बार रायरंगपुर नगर पंचायत के काउंसलर का चुनाव लड़ी जीत गई। फिर मुझे मयूरभंज विधानसभा से दो बार विधायक का टिकट मिला 2000 और 2004 में दोनों बार मुझे जीत हासिल हुई। इसके बाद मुझे BJD और BJP गठबंधन के मंत्री भी बनाया गया। फिर मैंने तीसरी बार BJP से 2009 में चुनाव लड़ी उस समय BJD अकले ही लड़ा और उस समय मुझे हार का सामना करना पड़ा।
द्रौपदी मुर्मू , पूर्व राजयपाल ,झारखण्ड
मैं चुनाव हारने के बाद गांव आ गई। मगर इसी बीच 2010 में मेरे बड़े बेटे की संदेहास्पद मौत हो गई, जिससे मैं काफ़ी डिप्रेशन में चली गई। 2013 में दूसरे बेटे की हादसे में मौत हो गई और 2014 में पति को भी खो दिया। इसके बाद पूरी तरह से टूट गई पर हिम्मत जुटा कर खुद को समाज सेवा में झोंके रखा।
द्रौपदी मुर्मू , पूर्व राजयपाल ,झारखण्ड
फिर मुझे 2015 में झारखंड के 9वीं राज्यपाल के रूप में कार्य करने का मौक़ा मिला जिससे मैं बड़ी ही अच्छे तरीके से कार्य को किया। अब मुझे सूबे के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्रपति पद के लिए चुना जिससे मैं कभी नहीं भुला सकती। अगर मैं चुनाव जीत जाती हूं तो देश की सेवा बहुत ही निष्ठा पूर्वक करूंगी।
द्रौपदी मुर्मू , पूर्व राजयपाल ,झारखण्ड
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस आर्टिकल में हमने जाना कि – द्रौपदी मुर्मू के बारे में (About of Draupadi Murmu), द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय (Draupadi Murmu Biography), द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन (Political life of Draupadi Murmu) आदि बहुत सारी जानकारियां जो आपको जानने लायक हो।
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Draupadi Murmu’s FAQ’s :-
द्रौपदी मुर्मू कौन हैं ?
द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले के संथाली आदिवासी परिवार में जन्मी एक बहुत चर्चित महिला का नाम है। जिन्होंने एक बार पार्षद, दो बार विधायक तथा एक बार झारखंड की राज्यपाल बनी और अब राष्ट्रपति पद के लिए नामित हैं।
द्रौपदी मुर्मू कौन से धर्म से सम्बन्ध रखती हैं ?
सारना धर्म जिसको हिन्दू धर्म का ही एक अंग माना जाता है।
द्रौपदी मुर्मू के गांव का नाम क्या है?
बैदापोसी (उपरबेड़ा), रायरंगपुर, मयूरभंज
द्रौपदी मुर्मू का Postal Address क्या है?
At – Baidaposhi, Ward No-2, P.O – Rairangpur, Dist – Mayurbhanj, State – Odisha, Pin Code – 757043
द्रौपदी मुर्मू के पिताजी और माताजी का क्या नाम है?
पिताजी – बिरंची नारायण टुडू और माताजी – किनगो टुडू
द्रौपदी मुर्मू का संपति कितना है?
लगभग 10 करोड़ रुपए
द्रौपदी मुर्मू ने कब राज्यपाल के पद पर शपथ ग्रहण की?
18 मई 2015
द्रौपदी मुर्मू किस राजनितिक पार्टी से जुड़ी हुईं हैं?
भारतीय जनता पार्टी (BJP)
द्रौपदी मुर्मू का उम्र क्या है?
64 साल
द्रौपदी मुर्मू का जन्म कब हुआ था ?
20 जून 1958
भारत की पहली महिला राष्ट्रपति कौन हैं ?
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल
द्रौपदी मुर्मू के पति का क्या नाम है?
श्याम चरण मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू की बेटी का क्या नाम है?
इति श्री