Tagore Hill Ranchi:- झारखंड झाड़ – झाखंडो का प्रदेश कहा जाता है, एक ऐसा प्रदेश जहां जंगल, पठार, पहाड़, झाड़, नदी और झरने स्थित हों। झारखंड के क्षेत्र के आधार का निर्माण आर्कियन युग (दो सौ करोड़ पूर्व) की प्राचीन चट्टानों से हुआ है, जिसमें ग्रेनाइट, नीस, और आग्नेय अंतर्वेधन चट्टान प्रमुख हैं।
टैगोर हिल राँची का एक बेहद ही खूबसूरत और रमणीय स्थल है जहाँ लोग अपने प्रियजनों के साथ या अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करना पसन्द करते हैं। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता मन को सुकून का अहसास करता है। टैगोर हिल राँची के मोरहाबादी में स्थित एक सुन्दर पहाड़ी है।
आज के इस Article में हम जानेंगे:-
- टैगोर हिल क्या है?
- टैगोर हिल कहां पर स्थित है?
- टैगोर हिल का इतिहास क्या है?
- टैगोर हिल कैसे पहुंचे?
टैगोर हिल क्या है?| What is Tagore Hill?
टैगोर हिल (Tagore Hill) को रांची के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। टैगोर हिल झारखंड के प्रमुख भौगोलिक विशेषताओं में से एक है, जो इस जगह की सुंदरता में विविधता के साथ चार चांद लगाती है। यह एक पहाड़ी है जो हरे भरे पेड़-पौधों से सुसज्जित है,इस पहाड़ी की चोटी पर एक View Point बनाया हुआ है जहाँ से आस-पास के क्षेत्रों की झलक वास्तव में देखने लायक है, जिससे यहां आने वाले लोग आकर्षित हुए बिना नहीं रहते हैं।

यह एक छोटी सी पहाड़ी है, जो दिखने में काफी सुन्दर है। इस पहाड़ी में काफी छोटे-बड़े पत्थर भरे पड़े हैं, जिस पर यहां जाने वाले लोग अपने दोस्त-यारों और प्रियजनों के साथ आराम से बैठकर बात-चीत करते हैं, साथ ही आस – पास के दृश्य का नज़ारा देखते हैं।
टैगोर हिल के चोटी से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखने लायक सबसे खूबसूरत चीजों में से एक है। टैगोर हिल एक पर्यटक स्थल/रमणीय स्थान बनने से पहले यहां गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्र नाथ टैगोर का आश्रम था और कहा जाता है की उससे पहले भी यह एक विश्राम गृह हुआ करता था।
टैगोर हिल कहां पर स्थित है? | Where is Tagore Hill?
टैगोर हिल, झारखण्ड की राजधानी रांची शहर के उत्तर छोर पर मोरहाबादी नामक स्थान पर स्थित है इस पहाड़ी की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 300 फीट ऊंची है. इसके समीप ही रामकृष्ण मिशन आश्रम, कृषि व्यवसायिक संस्थान, दिव्यायन केंद्र और मोरहाबादी मैदान, बिरसा फुटबॉल स्टेडियम भी स्थित है। यातायात के अच्छी सुविधा होने के कारण इस जगह कोई भी आसानी से ऑटो रिक्शा,कार,बस या साइकिल आदि से आना-जाना कर सकता है।
टैगोर हिल का इतिहास क्या है?| What is the history of Tagore Hill Ranchi?
Tagore Hill Ranchi एक ऐतिहासिक पहाड़ी है आइये अब हम इस पहाड़ी की इतिहास पर एक नज़र डालते हैं और इसके इतिहास को जानते हैं:-
Tagore Hill Ranchi का नामकरण कैसे हुआ?
भारत के श्रद्धेय कवि और एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव श्री रवींद्रनाथ टैगोर के साथ इस पहाड़ी का एक लंबा इतिहास जुड़ा रहा है। कई जगह पर इस पहाड़ी का उल्लेख है कि रविन्द्र नाथ टैगोर ने इस पहाड़ी पर गीतांजलि का कुछ अंशों की रचना किये थे। टैगोर हिल पर गुरुदेव श्री रवींद्रनाथ टैगोर भी कुछ दिन प्रवास किये थे।

टैगोर हिल का नामकरण के पीछे रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर के साथ जुड़ा हुआ है। जो सबसे पहले 1 अक्टूबर 1908 को रांची आए थे और यहां आने के बाद उन्हें मोरहाबादी स्थित पहाड़ी काफ़ी पसंद आ गई तब ये जगह बिलकुल एकदम वीरान था।
क्योंकि उन दिनों राँची की आबादी उतनी अधिक नहीं थी। तब उन्होंने मोरहाहाबादी के जमींदार हरिहर नाथ सिंह से 290 रुपए के वार्षिक भाड़े पर मोराहाबादी पहाड़ी को लिए थे। बाद में पहाड़ी के साथ 15 एकड़ 80 डिसमिल जमीन को भी लिए और सबको एक साथ अपने नाम पर बंदोबस्ती करा लिए। इसके बाद उन्होंने वीरान पड़े टूटे – फूटे विश्राम गृह को अच्छा से बना कर इसमें रहने लगे।
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ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर की मृत्यु 4 मार्च 1925 ई. को अपने आश्रम में ही हुआ और उसका अंतिम संस्कार हरमू घाट/ हरमू मुक्तिधाम पर हुआ। बाद में उसका समाधि स्थल पहाड़ी के ऊपर ही बनाया गया। उनके निधन के बाद भी उनके परिवार के कई सदस्य वर्षों तक यहां आते-जाते रहे, जिसके कारण मोरहाबादी पहाड़ी का नाम टैगोर हिल (Tagore Hill) पड़ा।
ज्योतिंद्रनाथ टैगोर ने मराठी गीता रहस्य को बांग्ला भाषा में रूपांतरित किया:-
ज्योतिंद्रनाथ टैगोर ने सन् 1924 में इसी पहाड़ी पर रह कर “बाल गंगाधर तिलक” द्वारा मराठी में लिखित “गीता रहस्य” को बांग्ला भाषा में अनुवाद किया था। यहां इस पहाड़ी पर बहुत ही शांत माहौल रहता था जिसके कारण उसे अनुवाद करने में कोई परेशानियां नहीं होती थीं।
टैगोर हिल पर Rest House के बनने की कहानी भी दिलचस्प है:-
टैगोर हिल के बारे में कहा जाता है कि रांची के अंग्रेज प्रशासक लेफ्टिनेंट कर्नल ए. आर. ऑस्ली ने सन् 1842 ई. में मोरहाबादी पहाड़ी पर गर्मियों में रहने के लिए एक छोटा और प्यारा सा विश्राम गृह (Rest House 🏡) बनवाया था। उन्होंने यहां पर सन् 1842-1848 ई. तक रहे, वे हर रोज सुबह में अपने काले घोड़े पर सवार होकर मोरहाबादी मैदान में टहलने के लिए जाते और फिर Rest House में आकर Rest किया करते थे।
वे यहां पर अपने भाई के साथ रहा करते थे जो किसी अज्ञात कारणों से इसी विश्राम गृह में आत्महत्या (Suicide) कर लिया। इसके बाद से कैप्टेन ऑस्ली का मन यहां पर नहीं लगने लगा, फिर वह यहां से छोड़कर चले गए और दुबारा कभी लौटकर नहीं आए। इसके बाद से ये पहाड़ी काफ़ी वीरान था।
ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर ने मोरहाबादी पहाड़ी को कब खरीदा?
Tagore Hill Ranchi के बारे में कहा जाता है कि रांची के अंग्रेज प्रशासक लेफ्टिनेंट कर्नल ए. आर. ऑस्ली ने सन् 1842 ई. में मोरहाबादी पहाड़ी पर गर्मियों में रहने के लिए एक छोटा और प्यारा सा विश्राम गृह (Rest House 🏡) बनवाया था। उन्होंने यहां पर सन् 1842-1848 ई. तक रहे, वे हर रोज सुबह में अपने काले घोड़े पर सवार होकर मोराबादी मैदान में टहलने के लिए जाते और फिर Rest House में आकर Rest किया करते थे।

वे यहां पर अपने भाई के साथ रहा करते थे जो किसी अज्ञात कारणों से इसी विश्राम गृह में आत्महत्या (Suicide) कर लिया। इसके बाद से कैप्टेन ऑस्ली का मन यहां पर नहीं लगने लगा, फिर वह यहां से छोड़कर चले गए और दुबारा कभी लौटकर नहीं आए। इसके बाद से ये पहाड़ी काफ़ी वीरान था।
ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर ने मोरहाबादी पहाड़ी को कब खरीदा?
ज्योतिरिंद्रनाथ टैगोर की पत्नी जिनका नाम कादंबरी देवी था जिसकी मृत्यु 19 अप्रैल 1884 को आत्महत्या करने से हुई, जिससे वे काफी दुखी-दुखी रहने लगे। तब से वे अपना पैतृक निवास स्थान ठाकुरबाड़ी छोड़कर अपने बड़े भाई ब्रिटिश भारत के पहले I.C.S सत्येंद्रनाथ टैगोर के साथ कुछ दिन रहे। लेकिन फिर 1905 ई. में अपने पिता महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर के मृत्यु के बाद उन्होंने कुछ समय एक वैरागी की तरह पूरे भारत का भ्रमण किया।
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फिर वह शांति की खोज में रांची आए तब उन्होंने मोराबादी के जमींदार हरिहर नाथ सिंह से 290 रुपए के वार्षिक भाड़े पर मोराहाबादी पहाड़ी को लिए थे। बाद में पहाड़ी के साथ 15 एकड़ 80 डिसमिल जमीन को भी लिए और सबको एक साथ अपने नाम पर बंदोबस्ती करा लिए। इसके बाद उन्होंने वीरान पड़े टूटे-फूटे विश्राम गृह को अच्छा से बना कर इसमें रहने लगे।
टैगोर हिल पहाड़ी पर किस-किस चीज का निर्माण कराया गया है?
Tagore Hill Ranchi पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां, प्रवेश द्वार पर एक विशाल तोरण द्वार और साथ ही अनेक छोटा – छोटा मंदिर तथा आगंतुकों को बैठने के लिए चबूतरा का निर्माण कराया गया। द्वार के सामने ही विभिन्न प्रजातियों की चिड़ियां, हिरण, मोर आदि को रखने के लिए एक छोटा आश्रम का रूप दिया गया है।
वे ब्रह्मा समाजी थे, इसीलिए ध्यान-साधना के लिए एक खुला मंडप बनवाया, जिसका नाम है “शांतालय” रखा गया। ये मंडप चौकोर है, स्लैप बलुवा पत्थर का है, शिखर नागर शैली में बना है। पहाड़ी के नीचे एक सत्येंद्रनाथ ने एक घर बनावाया, जिसका नाम है “सत्यधाम” रखा गया।
ज्योतिंद्रनाथ टैगोर की डायरी से पता चलता है कि उन दिनों रांची के गण्यमान्य लोग उनके आश्रम आया करते थे तथा साहित्य, संगीत, उपासना आदि कार्यक्रमों में शामिल होते थे। वे यहां के आदिवासियों से काफी प्रेम करते थे, इसी कारण पहाड़ी पर होने वाले सभी प्रकार के कार्यक्रम में वे लोग अवश्य भाग लेते थे।
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अभी के समय में यहां पर बहुत ही सुंदर-सुंदर झारखंडी चित्रकला तथा मूर्ति कला टैगोर हिल के दीवारों में बनाया गया है, जो यहां के कला-संस्कृति को दिखाता है। यहां स्थित किला, दीवार, मंदिर, शांति स्थल आदि जगहों को बहुत ही अच्छे से रंगाई -पुताई किया गया है।
Tagore Hill Ranchi पर ब्रोकरों की थी नजर:-
एक बार 1980 में टैगोर हिल को ब्रॉकरों ने बेचने का प्लान बनाया था, इसे खरीदने के लिए कई बड़े-बड़े बिल्डर लोग खड़े हो गए थे। भूदान योजना समिति बनाम मंदोदरी देवी का मामला L.R.D.C Court में गया। माननीय उच्च न्यायालय ने दोनों के दावे को ख़ारिज कर दिया और कहा कि ये एक ऐतिहासिक स्थल है, इसीलिए इस पर कोई दावा नहीं कर सकता है।
टैगोर हिल तक कैसे पहुंचें?
Tagore Hill Ranchi का शानदार सौंदर्य और दृश्य सभी प्रकार के आगंतुकों/पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां पर लोग रिक्शा, ई – रिक्शा, साइकिल, मोटरसाइकिल, कार, बस, ऑटो रिक्शा, टैक्सी, Ola, Uber, Rapido आदि के माध्यम से टैगोर हिल तक पहुंच सकते हैं। साथ ही देश के अन्य हिस्सों के साथ-साथ विदेशों से भी आने वाले लोग शहर में स्थित बिरसा मुंडा हवाई अड्डा/रांची हवाई अड्डे के माध्यम से भी इस शहर में पहुंच सकते हैं।
टैगोर हिल तक इन साधनों से आसानी से पहुँच सकते हैं:-
साधन | नजदीक स्थान | दुरी/समय |
---|---|---|
By Air | Birsa Munda International Airport, Ranchi | 13 Km/(31 min) |
By Train | Ranchi Railway Station | 6.7 Km/(22 min) |
By Bus | Birsa Munda Bus Terminal, Khadgarha, Ranchi | 5.6 Km/(24min) |
By Bus | Govt Bus Stand, Ranchi | 6.7Km/(24min) |
Local Transport :- Tagore Hill Ranchi जाने के लिए आप अपने निजी वाहन, Ola, Uber, ऑटो रिक्शा, ई रिक्शा, साइकिल, पैदल से बिलकुल आसानी से पहुंच सकते हैं।
टैगोर हिल की किन-किन नामों से जाना जाता है?
Tagore Hill Ranchi को मोरहाबादी पहाड़ी, मोरहाबादी हिल, टैगोर पहाड़ी के नामों से जाना जाता है। आप 200-250 सीढ़ियाँ चढ़कर शीर्ष पर पहुँच सकते हैं और नीचे शहर के आश्चर्यजनक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा, आप यहां ट्रेकिंग, रॉक क्लाइम्बिंग और कई अन्य साहसिक खेलों और रोमांचकारी गतिविधियों में भी हाथ आजमा सकते हैं।
पहाड़ी की तलहटी में प्रसिद्ध रामकृष्ण आश्रम और दिव्ययान और कृषि व्यवसायिक संस्थान का केंद्र भी स्थित है। इसके अलावा, आप ऊपर की ओर से भी मंत्रमुग्ध कर देने वाले सूर्यास्त का आनंद ले सकते हैं।
टैगोर हिल को विकसित करने के लिए कई योजनाएं हुईं निष्फल:-
Tagore Hill Ranchi परिसर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कई योजनाएं बनाई गयीं, लेकिन सभी निष्फल हुईं। झारखण्ड पर्यटन विभाग की ओर से यहां पर रोप वे बनाने की योजना बनी थी परन्तु उस पर कोई काम नहीं हो सका।

2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडा, शिक्षाविद् डॉ रामदयाल मुंडा के साथ टैगोर हिल का भ्रमण करने पहुंचे थे। तब डॉ रामदयाल मुंडा ने मुख्यमंत्री को यहां Open Theater बनवाने का प्रस्ताव दिया था। अर्जुन मुंडा ने इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए पर्यटन विभाग को कहा था, पर इस दिशा में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
Tagore Hill Ranchi राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के लिए P.I.L भी हो चुका है :-
SPTN संस्था की ओर से 2017 में इस मामले में Jharkhand High Court में P.I.L दर्ज किया गया था। संस्था के अध्यक्ष अजय कुमार जैन ने बताया कि SAI की ओर से जवाब दिया गया कि Tagore Hill सन् 1925 में बना था और अभी 100 वर्ष पूरे नहीं हुए, इसलिए इसे राष्ट्रीय धरोहर (National Heritage) घोषित नहीं किया जा सकता। फिर एक और जानकारी के अनुसार अजय कुमार जैन ने कोलकाता के National Library में मौजूद “तत्वबोधिनी पत्रिका” के हवाले से बताया कि टैगोर हिल 1910 में बनाए जाने का प्रमाण है।
Tagore Hill Ranchi को धरोहर घोषित करने के लिए मांगा था एनओसी:-
Tagore Hill Ranchi को राष्ट्रीय धरोहर (National Heritage) घोषित करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच कई पत्राचार हुए, लेकिन आज तक टैगोर हिल राष्ट्रीय धरोहर घोषित नहीं हो सका। 2001 से प्राकृतिक सौंदर्य व आदिम संस्कृति सरंक्षण संस्थान (Natural Beauty and Primitive Culture Preservation Institute – NBPCPI) लगातार काम कर रहा है।
2008 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India – ASI) की ओर से दिल्ली केंद्रीय कार्यालय को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के लिए पत्र लिखा गया था। 2013 में केंद्र से झारखंड सरकार को पत्र भेजा गया, जिसमें राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के लिए No Objection Certificate – NOC मांगा गया था। 2014 में राज्य सरकार द्वारा ASI को NOC भी मिल गया था, लेकिन इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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टैगोर हिल को लोग क्यों पसंद करते हैं?
Tagore Hill Ranchi सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक खुला हुआ रहता है, जिसका Entry Fee’s बिलकुल Free है। यहां से सुर्यादय और सुर्यास्त की लालिमा वाली दृश्य देखने लायक होती है। इस जगह पर लोग Morning Walk, Running, Rock Climbing, Advantures, Silent Mood, Time Spend, Meet-up करने के लिए आते हैं।
टैगोर हिल के चोटी पर चढ़ने के लिए लगभग 200-250 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। यही कारण है कि यहां आने वाले लोग कहते हैं कि इससे हमारे घुटने, पैर मजबूत होता है। साथ Denfence की तैयारी करने वाले लड़के बताते हैं कि इस पहाड़ी से हमें बहुत ही अच्छे से तैयारी होती है, कारण यहां बहुत बड़ा – बड़ा चट्टान है जिससे उतरने और चढ़ने का अच्छा अभ्यास हो जाता है।
Tagore Hill Ranchi के Top View पर जाकर लगभग पुरे रांची की दर्शन कर सकते हैं। सुबह और शाम में आप शुद्ध और ताज़गी हवा ले सकते हैं साथ ही एक शांति का अनुभव कर सकते हैं। यहां आने से आपका मन एक दम शांत हो जायेगा क्योंकि पाहड़ी में चारों ओर हरियाली ही भरा है।
टैगोर हिल पर आप अपने परिवार वाले के साथ और दोस्तों के साथ घूमने या समय व्यतित करने के लिए जा सकते हैं। यहां आप आप छोटा सा पिकनिक भी कर सकते हैं लेकिन यहां खाना नहीं बना सकते हैं उसके लिए आपको खाना घर से लाना होगा और खाने के बाद कूड़ा – कचरा बकायदा तरीके से कूड़ेदान में डालना होगा। इस जगह पर आपको बिलकुल साफ – सुथरा दिखाई देगा क्योंकि यहां पर साफ – सफ़ाई पर बहुत ध्यान दिया जाता है।
Conclusion:-
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि – Tagore Hill Ranchi/टैगोर हिल क्या है?, टैगोर हिल कहां स्थित है? तथा टैगोर हिल/Tagore Hill Ranchi का इतिहास क्या है? आदि जैसे और भी बहुत कुछ जो आपको जानने लायक हो।
आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें Comment करके ज़रूर बताएं तथा अगर कोई सुझाव देना चाहते हैं तो वो भी Comment में लिख कर बताएं ताकि हम उसे सुधार कर इससे और भी बेहतर कर सकें।
FAQs:-
टैगोर हिल का नाम कैसे पड़ा?
रविंद्र नाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्र नाथ टैगोर के नाम से मोराबादी पहाड़ी का नाम टैगोर हिल पड़ा।
टैगोर हिल कहां पर स्थित है?
मोरहाबादी,रांची,झारखण्ड
क्या Tagore Hill Ranchi में Entry Fee’s लगता है?
Fully Free
क्या Tagore Hill से पूरी रांची देखा जा सकता है?
जी हां, पुरे राँची को आसानी से देखा जा सकता है.
Tagore Hill Ranchi जाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
Morning 5-6 A.M or Evening 5-6 यानि आप सूर्यदय और सूर्यास्त के समय इस जगह पर आ सकते हैं।
टैगोर हिल को किस नाम से जाना जाता है?
मोरहाबादी पहाड़ी
Tagore Hill Ranchi में Rest House 🏡 किसने बनवाया था?
अंग्रेज प्रशासक लेफ्टिनेंट कर्नल ए. आर. ऑस्ली ने सन् 1842 ई. में टैगोर हिल में Rest House House का निर्माण कराया।